याद है...

तुझसे वो पहली बार मिलना याद है, 
एक अन्जान शहर में अपनी जान से मिलना याद है,
जीते तो हम पहले भी थे,
मगर तेरे आते ही दिल की बेजान धड़कनों का फिर से चलना याद है ..

हाथों में हाथ लिए जब घूमा करते थे समन्दर के किनारे,
तब वो तेरा इन ज़ुल्फों को प्यार से सहलाना याद है,
बातों बातों में सुबह से रात और रात से फिर सुबह हो जाना याद है,
तेरी बाहों के घेरे में सुकून से सो जाना याद है,
वो सितारों की चादर तले तेरा इज़हारे मोहोब्बत भी याद है..
तेरी आँखें जब इस दिल में उठते जज़बातों का सबब पुछती थीं,
तब हमारा शरमाकर ख़ामोश रह जाना भी याद है..

तुझसे मिले अरसा हुआ अब,
तू हमनवा से हमनफस हुआ अब,
मगर तेरा आज भी छूना जैसे लगता पहली बार है..
हाँ, तुझसे वो पहली बार मिलना याद है...

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