वादों का कारवाँ

हमने सोचा इस नए साल में सोचना छोड़ दें,
लोगों की दलीलों के समन्दर में,
अपने वजूद की कश्ती को डुबोना छोड़ दें...
हर साल हज़ारों ख्वाहिशें पालते हैं,
इस साल दो चार ख़्वाहिशों को ही पाल पोस कर जवान बनाएं,
पता नहीं किस बड़ी खुशी की तलाश में मारे मारे फिरते हैं,
चलो इस साल छोटी छोटी खुशियाँ ही ढूँढकर लाएं...
बहुत रो लिए पिछले साल,
चलो इस साल हँसी के ठहाके ही लगाएं,
और दूसरों को भी जीने का फ़लसफ़ा समझाएं...
हर साल ज़िन्दगी कुछ रुक रुककर चलती है,
क्यूँ ना इस साल ज़िन्दगी की गाड़ी ज़रा तेज़ चलाएं..
कुछ काम जो अधूरे छोड़ दिये थे पिछले साल,
चलो इस साल उन्हें अपने अंजाम तक पहुँचायें...
ख्वाबों की तश्तरी में तो हर साल उड़ते हैं,
इस साल क्यूँ ना उसमें चाँद को बिठाकर लाएं..
पिछले साल जो गलतियाँ की थीं,
उन्हें इस साल दोबारा ना दोहराएं...
अब जो वादों और इरादों के कारवाँ में सवार होकर निकल पड़े हैं,
तो चलो उसे साल के आखिर तक लेके जाएं...

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