पकोड़े का birthday केक - A story of monsoon, memorable moments and jugaad!!

Monsoon आते ही कुछ चीज़ें मुझे बहुत याद आतीं है,  जैसे वो गीली मिट्टी की खुशबू, छम छम बरसता पानी, उस पानी में बच्चों का छलांगे लगाना, गरम गरम कुल्लड़ वाली चाय के साथ तीखे तीखे कडक़ कड़क पकोड़े और बचपन की कुछ खट्टी मीठी यादें...
Monsoon में आपने पकोड़े तो खूब खाये होंगे पर कभी पकोड़े का cake खाया है? जी हाँ, कुछ इसी से जुड़ा है मेरा आज का किस्सा जो हमेशा मुझे याद आता है जब भी मैं बारिश के बारे में सोचती हूँ, और मेरे चेहरे पे एक प्यारी सी smile ले आता है...
तो ये बात है उन दिनों की जब मैं 5th standard में पढ़ती थी.. मैं वैसे तो अब u.s में रहती हूँ, पर मैं originally delhi से हूँ, और अपनी ज़िंदगी का काफ़ी हिस्सा मैंने वहाँ बिताया है क्यूँकि मैं वहाँ पली 
बढ़ी हूँ...मैं खुद को delhiite ही मानती हूँ .. अगर आप दिल्ली या  दिल्ली के आसपास से  हो, या उस शहर के बारे में कुछ जानते हो तो आपको पता ही होगा कि दिल्ली की गरमी, सर्दी और बरसात सभी मशहूर हैं क्यूँकि तीनों ही extreme में होते हैं और हर मौसम का अपना ही मज़ा होता है ...
तो मुझे याद है उस साल खूब बरसात हुई थी और उसके चलते हमारी गली में घुटनों तक पानी भर गया था, और light भी चली गई थी.. अब मेरा birthday 26 august को पड़ता है जो कि भरी monsoon में होता है.. तो उस दिन मेरा जन्मदिन था...जैसे सब बच्चे अपने जन्मदिन को लेकर excited होते हैं मैं भी थी और सोचा था कि birthday party करूँगी, नए कपड़े पहनूँगी, दोस्तों को बुलायउँगी, cake काटूँगी, gifts मिलेंगे वगैहरा वगैहरा... पर thanks to दिल्ली की बरसात and electricity cuts, ये सब कुछ हो नहीं पाया..और उस समय इतनी cake shops भी नहीं हुआ करतीं थीं कि हम eggless cake ही बाज़ार से खरीद लें, तो हम अक्सर cake घर में ही बनाते थे जो अब नहीं हो सकता था क्यूँकि light नहीं थी और ना ही  उसके आने की कोई गुंजाइश थी...इस वजह से मैं बहुत उदास हो गयी...उस समय हम लोग एक joint family में रहते थे, और मैं घर की सबसे बड़ी बच्ची थी और सबकी बहुत लाडली थी..तो मेरे चाचू को ये अच्छा नहीं लगा की मेरे special day पर मैं उदास हूँ... तो उन्होंने ने बोला कि "चल, आज हम तेरा birthday ऐसे मनाएंगे जैसे अब तक किसी का नहीं मना होगा.. तू भी क्या याद करेगी!! तू tension मत ले"... तो चाचू उसी समय kitchen में गए और आलू प्याज़ के पकोड़े तलने लगे...तब मुझे समझ नहीं आया कि इससे मेरा birthday कैसे मनेगा!!! उसके लिए तो cake चाहिए...खैर, फिर थोड़ी ही देर में चाचू एक पकोड़े पर candle लगाकर, उसे एक plate पे सजाकर बड़े प्यार से ले आये और table पे रख दिया... और बोले चल candle बुझा और 'पकोड़ा cake' काट! वो क्या है ना कि हम दिल्लीवालों को हर चीज़ का जुगाड़ आता है!!
तो बस ये देखते ही मेरे चेहरे पे मुस्कान आ गई और मैं बहुत खुश हो गई... बस इसी तरह चाचू के बनाये उस ' पकोड़े cake' से मेरा birthday मनाया गया, जो शायद मेरा अब तक का सबसे यादगार birthday रहा होगा... उस दिन मुझे एक बात का एहसास हुआ कि अपने birthday या फिर किसी भी दिन को यादगार बनाने के लिए मेहेंगी parties, या gifts की ज़रुरत नहीं होती, बस अपनों का प्यार और उनके साथ गुज़ारे वो special लम्हे ही काफ़ी हैं.... आज भी जब कोई दिन या occasion वैसा नहीं जा रहा होता जैसा  मैं चाहती हूँ, तो मैं इस किस्से को याद कर लेती हूँ और उस दिन  को यादगार बनाने का कोई ना कोई जुगाड़ कर ही लेती हूँ!!

Comments

Popular posts from this blog

Have We Become Productive Machines? The Battle of Productivity and Mental Well-being

Breaking the Chains: Unraveling the Ties Between Mental Illness and Substance Use for a Healthier Future

Embracing the Odyssey: Revel in Your Journey, Celebrate Your Triumphs