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Showing posts from July, 2020

Thoughts, expressions and musings

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Introspection and Realization after Sushant Singh Rajput’s death — A fan’s anger, regret and wishes

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Just today I listened to ‘Dil Bechara — A musical tribute to Sushant Singh Rajput’ on youtube (link above). An amazing tribute to our beloved Sushant Singh Rajput.. I had tears in my eyes early in the morning…We had a lot of bollywood stars die mysteriously in the past including Divya Bharti, Sridevi, Praveen Babi but I have never seen such a huge fan based movement to probe into a star’s mysterious death before..We mourned, sensationalized and analyzed his death over and over again…We celebrated and learned from his short but meaningful life.. we regretted, cursed and blamed for the tragic event… but we refuse to let him go, we refuse to let him fade even after his death…Maybe because when the other stars died we did not have access to internet and such wide audience that time, or we used to absorb any and every news thrown at us either real or made up due to our naivety as an audience, or there is something to him and his persona which has forced us to not accept the end of su...

ख़्वाब परेशान है

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ख़्वाब भी परेशान है इन आँखों में आकर, कहता है कि मुझे वहाँ मुंतखिल करो, जहाँ कमसेकम मेरे मुकम्मल होने की गुंजाइश तो हो... क्यूँ बियाबान से जज़ीरों पे क़ैद कर रखा है, मुझे उस पार ले चलो जहाँ मेरी हस्ती की नुमाइश तो हो... क्यूँ रात के आफ़ताब का आईना दिखाते रहते हो, कभी उस सुबह का भी दीदार करवाओ जहाँ सूरज की रौशनी की इनायत तो हो... कभी उस किताब का पन्ना ही पढ़वाओ, जिसमें तुम्हारी ख्वाहिशें हासिल करने की हिदायत तो हो... हर रोज़ तुम्हारे दर पे दस्तक देता हूँ मगर फिर भी बेवफ़ा कहलाता हूँ, मुझे उस मकान में ले चलो जहाँ मेरी वफ़ा की इबादत तो हो... इन आँखों की पुतलियों पर हर वक़्त सुस्ताता रहता हूँ, मुझे उस खुले आसमान में ले चलो जहाँ अपने पँख फ़ैलाने की रियायत तो हो... हाँ, मुझे उस जहान में ले चलो, जहाँ मुझे आज़ाद परिंदे सी उड़ने की इजाज़त तो हो...

पकोड़े का birthday केक - A story of monsoon, memorable moments and jugaad!!

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Monsoon आते ही कुछ चीज़ें मुझे बहुत याद आतीं है,  जैसे वो गीली मिट्टी की खुशबू, छम छम बरसता पानी, उस पानी में बच्चों का छलांगे लगाना, गरम गरम कुल्लड़ वाली चाय के साथ तीखे तीखे कडक़ कड़क पकोड़े और बचपन की कुछ खट्टी मीठी यादें... Monsoon में आपने पकोड़े तो खूब खाये होंगे पर कभी पकोड़े का cake खाया है? जी हाँ, कुछ इसी से जुड़ा है मेरा आज का किस्सा जो हमेशा मुझे याद आता है जब भी मैं बारिश के बारे में सोचती हूँ, और मेरे चेहरे पे एक प्यारी सी smile ले आता है... तो ये बात है उन दिनों की जब मैं 5th standard में पढ़ती थी.. मैं वैसे तो अब u.s में रहती हूँ, पर मैं originally delhi से हूँ, और अपनी ज़िंदगी का काफ़ी हिस्सा मैंने वहाँ बिताया है क्यूँकि मैं वहाँ पली  बढ़ी हूँ...मैं खुद को delhiite ही मानती हूँ .. अगर आप दिल्ली या  दिल्ली के आसपास से  हो, या उस शहर के बारे में कुछ जानते हो तो आपको पता ही होगा कि दिल्ली की गरमी, सर्दी और बरसात सभी मशहूर हैं क्यूँकि तीनों ही extreme में होते हैं और हर मौसम का अपना ही मज़ा होता है ... तो मुझे याद है ...